अंतर्राष्ट्रीय चीता दिवस के अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दुनियाभर के वन्यजीव प्रेमियों, शोधकर्ताओं और संरक्षण कार्यकर्ताओं को शुभकामनाएँ दीं। प्रधानमंत्री ने कहा कि चीता पृथ्वी के सबसे अद्भुत जीवों में से एक है, जिसकी रक्षा मानवता की सामूहिक जिम्मेदारी है। उन्होंने याद दिलाया कि तीन वर्ष पहले भारत ने ऐतिहासिक “प्रोजेक्ट चीता” की शुरुआत की थी, जिसका उद्देश्य न केवल चीता को सुरक्षित आवास प्रदान करना है, बल्कि उस पूरे पारिस्थितिकी तंत्र को फिर से जीवंत करना है, जहां यह प्रजाति स्वाभाविक रूप से फल-फूल सके।
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अंतर्राष्ट्रीय चीता दिवस के अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज देश और दुनिया के उन सभी लोगों को शुभकामनाएँ दीं, जो वन्यजीव संरक्षण को लेकर समर्पित हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि चीता सिर्फ एक अद्भुत वन्यजीव नहीं, बल्कि पृथ्वी के जैव-संतुलन का महत्वपूर्ण हिस्सा है। अपने संदेश में उन्होंने बताया कि तीन वर्ष पूर्व भारत सरकार ने “प्रोजेक्ट चीता” की शुरुआत करके एक ऐतिहासिक पहल की थी, जिसमें नामीबिया और दक्षिण अफ्रीका से चीते लाकर उन्हें भारतीय जंगलों में सुरक्षित पुनर्वासित किया गया। इस प्रोजेक्ट का मुख्य उद्देश्य था — इस विलुप्तप्राय प्रजाति को नया जीवन देना और उस प्राकृतिक वातावरण को बहाल करना जहाँ यह स्वतंत्र रूप से विचरण कर सके।
प्रधानमंत्री ने कहा कि प्रोजेक्ट चीता केवल जानवरों को स्थानांतरित करने की योजना नहीं, बल्कि भारत की खोई हुई पारिस्थितिक विरासत को दोबारा जीवित करने का सपना है। लंबे समय तक चीता भारत की जैव विविधता का हिस्सा रहा था, लेकिन शिकार और पर्यावरणीय बदलावों के कारण यह देश से लुप्त हो गया। नरेंद्र मोदी ने कहा कि सरकार के प्रयास इस दिशा में हैं कि चीतों के लिए सुरक्षित और प्राकृतिक आवास तैयार किए जाएँ, ताकि वे न केवल जीवित रहें बल्कि स्थायी रूप से बढ़ सकें।
विशेषज्ञों का मानना है कि चीतों की उपस्थिति से घासभूमि के पारिस्थितिकी तंत्र को मजबूती मिलती है। ये टॉप प्रिडेटर होने के कारण शाकाहारी जानवरों की संख्या पर नियंत्रण रखते हैं, जिससे वनस्पतियों का संतुलन बना रहता है। प्रधानमंत्री ने इसी वैज्ञानिक दृष्टिकोण को ध्यान में रखते हुए बताया कि प्रोजेक्ट चीता भारत की जैव विविधता को भी नई ऊर्जा देगा।
उन्होंने यह भी कहा कि अंतर्राष्ट्रीय चीता दिवस केवल एक औपचारिक दिवस नहीं, बल्कि संरक्षण के प्रति जागरूकता का प्रतीक है। इस दिन का उद्देश्य है कि लोग प्रकृति, पारिस्थितिकी और वन्यजीवों के संरक्षण की महत्ता को समझें। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि आने वाले समय में भारत चीता संरक्षण का वैश्विक मॉडल बनकर उभरेगा और अन्य देश भी भारत के अनुभवों से सीख सकेंगे।
पर्यावरण विशेषज्ञों ने प्रधानमंत्री के संदेश का स्वागत करते हुए कहा कि सरकार के प्रयास सही दिशा में हैं। हालांकि, चीतों का स्थायी पुनर्वास लम्बी प्रक्रिया है और इसके लिए लगातार वैज्ञानिक निगरानी, बड़े जंगलों का संरक्षण, मानव–वनजीव संघर्ष को रोकने के उपाय और स्थानीय समुदायों की भागीदारी बेहद जरूरी होगी।
चीता के बारे में कुछ खास तथ्य :-
- दुनिया का सबसे तेज़ जानवर - चीता 110–120 किमी/घंटा की रफ्तार से दौड़ सकता है।
- हल्का शरीर और लंबी टांगें - इसके शरीर की बनावट इसे स्प्रिंट के लिए आदर्श बनाती है।
- जीवन काल - जंगली में 10–12 वर्ष, जबकि संरक्षण क्षेत्रों में 15–20 वर्ष तक जीवित रह सकता है।
- आहार - मुख्य रूप से हिरण, मृग, खरगोश और छोटे स्तनधारी।
- जैव विविधता में योगदान - चीता घासभूमि के पारिस्थितिकी तंत्र को संतुलित रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।





