देशवासी भूल गए? 562 रियासतों को जोड़ने वाले सरदार वल्लभभाई पटेल का परिवार आज कहाँ है?

क्या देशवासी भूल गए लौह पुरुष? 562 रियासतों को जोड़ने वाले सरदार पटेल का परिवार आज भी सादगी से जी रहा है”

भारत के लौह पुरुष सरदार वल्लभभाई पटेल, जिनकी दृढ़ इच्छाशक्ति और अद्भुत नेतृत्व ने 562 रियासतों को एक सूत्र में बाँधकर “एक भारत, श्रेष्ठ भारत” का सपना साकार किया, आज भी करोड़ों भारतीयों के हृदय में अमर हैं। लेकिन क्या कभी आपने सोचा है — सरदार पटेल का परिवार आज कहाँ है, और क्या करता है?

लौह पुरुष का परिवार जो राजनीति से कोसों दूर रहा :

जब पूरा देश “एकता दिवस (Ekta Diwas)” पर सरदार पटेल को श्रद्धांजलि देता है, तब एक तथ्य और भी महान बन जाता है — उनका परिवार आज भी राजनीति से पूरी तरह दूर है। न कोई राजनीतिक दल से जुड़ा सदस्य, न कोई मंत्री, न कोई पदाधिकारी। जबकि आज के दौर में जहाँ “वंशवाद” (Dynasty Politics) सामान्य बन चुका है, वहाँ सरदार पटेल के परिवार ने सत्ता की लालसा से दूर रहकर एक मिसाल कायम की है। उनके वंशज सामान्य जीवन जीते हैं, कुछ शिक्षा, समाजसेवा और सांस्कृतिक कार्यों से जुड़े हैं, परंतु किसी ने भी “पटेल” नाम का राजनीतिक उपयोग नहीं किया। यह इस परिवार की नैतिक विरासत और संस्कारों की गहराई को दर्शाता है।

एकता दिवस पर प्रधानमंत्री मोदी गए मिलने :

31 अक्टूबर, जो कि राष्ट्रीय एकता दिवस (Ekta Diwas) के रूप में मनाया जाता है, उसी अवसर पर हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सरदार वल्लभभाई पटेल के परिवार से भेंट की। यह मुलाकात सिर्फ एक औपचारिकता नहीं थी — यह था राष्ट्र की ओर से उस परिवार को नमन, जिसने भारत की एकता और अखंडता की नींव रखने वाले व्यक्ति के संस्कारों को अब तक सहेज कर रखा है। मोदी ने अपने भाषण में कहा था —
सरदार पटेल ने भारत को जोड़ा था, और उनका परिवार आज भी उस एकता का प्रतीक है।

उनके शब्दों में भाव था, गर्व था और एक ऐसी भावनात्मक ऊर्जा थी जो हर भारतीय को प्रेरित करती है।

गांधी परिवार बनाम पटेल परिवार — दो दृष्टांत

राजनीतिक इतिहास में जहाँ एक ओर “गांधी-नेहरू परिवार” ने सत्ता की परंपरा को आगे बढ़ाया, वहीं दूसरी ओर “पटेल परिवार” ने सत्ता से दूरी बनाकर सच्ची राष्ट्रसेवा की मिसाल दी। यह तुलना केवल राजनीति की नहीं, बल्कि विचारधारा की है —
  • गांधी परिवार सत्ता के केंद्र में रहा,
  • और सरदार पटेल का परिवार मूल्यों के केंद्र में।
आज जब जनता वंशवाद से परेशान है, तब पटेल परिवार की सादगी लोकतंत्र के लिए एक प्रेरक उदाहरण बनती है।

सरदार पटेल का सपना — एकता में शक्ति :

सरदार वल्लभभाई पटेल का मानना था —
“भारत की शक्ति उसकी एकता में है, न कि किसी व्यक्ति की सत्ता में।”

इसी विचार को आगे बढ़ाने के लिए 2014 से हर साल 31 अक्टूबर को राष्ट्रीय एकता दिवस (National Unity Day) के रूप में मनाया जाता है। गुजरात के नर्मदा जिले में स्थित ‘Statue of Unity’ — जो विश्व की सबसे ऊँची प्रतिमा है — उसी एकता का प्रतीक बनकर खड़ी है। जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी वहां सरदार पटेल के परिवार से मिले, तो यह मुलाकात जैसे उस इतिहास की गूंज थी जिसने भारत को जोड़ दिया था। जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी वहां सरदार पटेल के परिवार से मिले, तो यह मुलाकात जैसे उस इतिहास की गूंज थी जिसने भारत को जोड़ दिया था।

भावनात्मक सच्चाई — एक परिवार जिसने नाम नहीं, काम बचाया :-

आज जब कई नेता अपने नाम के आगे पिता या दादा का नाम जोड़कर राजनीतिक पहचान बनाते हैं, वहीं सरदार पटेल का परिवार मौन रहते हुए भी भारत के हर नागरिक के दिल में जीवित है। उन्होंने न तो राजनीति में कदम रखा, न प्रसिद्धि की चाह रखी — क्योंकि उनके पूर्वज ने सिखाया था कि देशभक्ति का अर्थ पद नहीं, योगदान है।

एकता दिवस का सन्देश — सरदार पटेल की आत्मा से जुड़ना : 

एकता दिवस केवल एक सरकारी आयोजन नहीं, बल्कि आत्ममंथन का दिन है। हमारे भीतर यह प्रश्न जगाता है कि —
क्या हम उतने एकजुट हैं, जितनी उम्मीद सरदार पटेल ने रखी थी? क्या हम क्षेत्र, भाषा, जाति के भेद से ऊपर उठ पाए हैं?

सरदार पटेल का परिवार भले ही सुर्खियों में न हो, लेकिन उनके त्याग, संयम और सरल जीवन से हम सब सीख सकते हैं कि वास्तविक श्रद्धांजलि वही है जो उनके विचारों को जिए।

निष्कर्ष : लौह पुरुष की विरासत अमर है :

सरदार वल्लभभाई पटेल के परिवार की सादगी और मौन सेवा इस बात का प्रमाण है कि असली शक्ति राजनीति नहीं, एकता में है। आज जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हर साल एकता दिवस पर इस परिवार से मिलते हैं, तो वह केवल स्मृति नहीं, बल्कि भारत की आत्मा से संवाद होता है। “लौह पुरुष सरदार पटेल” का परिवार चाहे राजनीति में न हो, पर उनकी प्रेरणा, उनके संस्कार और उनकी देशभक्ति हर भारतीय के भीतर जीवित हैं।

Article By : Mekal Sahu Editor-In-Chief, Chhuriya Times 
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