ग्राम रामपुर (थाना चिचोला) के पास हुए सड़क हादसे में घायल दो गौमाताओं की सेवा का दायित्व स्थानीय हिन्दू भाइयों – राकेश, टिकेश्वर, त्रिलोक, घनश्याम, महेश, विनोद, बबलू, थानेश्वर, अजय और अन्य सनातनी युवाओं ने अपने कंधों पर लिया। बिना किसी सरकारी सहायता के, इन भाइयों ने लगभग 30 दिनों तक दोनों घायल गौमाताओं की सेवा, उपचार और भोजन (खिचड़ी) की व्यवस्था खुद की।
कई बार डॉक्टरों से संपर्क करने की कोशिश की गई, लेकिन “व्यवस्था” शायद किसी छुट्टी पर थी — जैसे जीवन की कीमत सिर्फ इंसानों तक सीमित हो। नतीजा, जिन उम्मीदों पर राकेश भाई की टीम ने भरोसा किया था, वही प्रशासनिक उपेक्षा के चलते टूट गई — और एक गौमाता ने आखिरकार अपनी अंतिम सांस ली। राकेश भाई भावुक होकर बोले —
“रोड एक्सीडेंट में घायल गौमाता जो इतने दिन तक हमारे साथ रही… कल ही डॉक्टर बुला के इंजेक्शन लगवाया था, लेकिन खाना-पीना छोड़ने के कारण माता नहीं रही… आज भगवान अपने पास बुला लिए। ओम शांति”
शाम को अंतिम बार पानी पिलाया गया, और कुछ ही घंटों बाद माता ने संसार से विदा ले ली। एक गौमाता अभी भी जीवन से संघर्ष कर रही है, जिसका पैर सड़न के कारण काटना पड़ा — इलाज भी स्वयंसेवकों द्वारा ही चल रहा है।
इस पूरी सेवा यात्रा में अजय साहू जी जिनका पाटेकोहरा में ऑनलाइन सेंटर है, ने टीम को प्रेरित किया और सहयोग भी दिया। वहीं, गाँव के थल सेना अग्निवीर फलेश रजक ने भी इस सेवा में सहयोग किया — यह बताने के लिए कि करुणा और सेवा किसी पद की मोहताज नहीं होती। लेकिन सवाल अब भी वही है — जब गाँव के युवा बिना संसाधनों के इतनी निष्ठा से गौसेवा कर सकते हैं, तो सरकारी अस्पतालों और प्रशासनिक कुर्सियों पर बैठे लोग आखिर कब जागेंगे?
ओम शांति 🙏🏻
— रिपोर्ट : मेकल सिंह (मुख्य संपादक) Chhuriya Times






