छुरिया : गांधी जी की प्रतिमा पर संकट! चश्मा गायब, माथे पर चोट का निशान - प्रशासन बेखबर

छुरिया : गांधी बाबा की प्रतिमा पर संकट! चश्मा गायब, माथे पर चोट का निशान — प्रशासन बेखबर

सारांश : छत्तीसगढ़ के राजनांदगांव जिले की छुरिया तहसील में स्थित गांधी बाबा की प्रतिमा इन दिनों चर्चा का विषय बनी हुई है।
जहां एक ओर पूरा देश गांधीजी के आदर्शों को अपनाने की बातें करता है, वहीं छुरिया में उनकी प्रतिमा पर उपेक्षा की धूल साफ नज़र आने लगी है।
तहसीलदार कार्यालय के ठीक सामने स्थित यह प्रतिमा वर्षों से स्थानीय लोगों के लिए श्रद्धा और प्रेरणा का प्रतीक रही है —
पर अब वही प्रतिमा, टूटी हुई चश्मा, माथे पर चोट का निशान और झड़ती रंगत के साथ मानो कुछ कह रही हो...

विश्लेषण

🕊️ “शांति के प्रतीक” की प्रतिमा अब मौन अपील कर रही है

गांधी बाबा की यह मूर्ति शांत मुद्रा में विराजमान है।
सफेद वस्त्रों और सत्य-अहिंसा के संदेश के साथ यह प्रतिमा कभी छुरिया की पहचान मानी जाती थी।
लेकिन अब जब कोई राहगीर इसे देखता है, तो सबसे पहले उसकी नजर गायब चश्मे और माथे के निशान पर जाती है।
लगता है जैसे “बापू” खुद सवाल कर रहे हों —

“क्या यह है वह भारत, जहां सत्य और स्वच्छता का वचन दिया गया था?”

स्थानीय नागरिकों का कहना है कि कई हफ्तों से प्रतिमा की स्थिति खराब है, लेकिन प्रशासनिक अधिकारियों की नजर अब तक इस पर नहीं पड़ी।
तहसीलदार कार्यालय के ठीक सामने होने के बावजूद यह उपेक्षा नागरिकों के बीच चर्चा का विषय बन गई है।

🧑‍🤝‍🧑 स्थानीय लोगों में नाराजगी और निराशा

छुरिया के नागरिकों ने बताया कि गांधी बाबा की प्रतिमा नगर के गौरव का प्रतीक रही है।
प्रत्येक राष्ट्रीय पर्व पर यहां फूल मालाएं चढ़ाई जाती थीं, लेकिन पिछले कुछ समय से
न साफ-सफाई की गई, न मरम्मत।

एक बुजुर्ग नागरिक ने बताया —

“पहले यहां स्कूली बच्चे भी आते थे, गांधीजी के बारे में सीखते थे। अब कोई रुकता नहीं।
मूर्ति का चश्मा टूट गया, माथे पर चोट है, फिर भी किसी को परवाह नहीं!”

कुछ युवाओं ने तो सोशल मीडिया पर इस मुद्दे को उठाते हुए लिखा —
“छुरिया तहसील के सामने गांधी बाबा की प्रतिमा उपेक्षित क्यों?
क्या बापू की याद सिर्फ 2 अक्टूबर तक सीमित रह गई है?”

⚠️ प्रशासन की चुप्पी — सवालों के घेरे में

तहसील कार्यालय के बाहर रोजाना सैकड़ों लोगों की आवाजाही होती है,
फिर भी किसी अधिकारी ने अब तक मरम्मत या सफाई की पहल नहीं की।
यह सवाल उठता है कि जब गांधीजी की प्रतिमा जैसे राष्ट्रीय प्रतीक की अनदेखी हो रही है,
तो बाकी स्मारकों की स्थिति कैसी होगी?

छुरिया के सामाजिक संगठनों ने प्रशासन से मांग की है कि
प्रतिमा की तत्काल मरम्मत, चश्मे की पुनः स्थापना और आसपास सफाई व सौंदर्यीकरण कराया जाए।
क्योंकि यह सिर्फ एक मूर्ति नहीं, बल्कि गांधीजी के सिद्धांतों की पहचान है।

🌿 बापू के संदेश आज भी जीवंत हैं – बस सुनने वाला चाहिए

महात्मा गांधी हमेशा कहते थे —

“देश की आत्मा गांवों में बसती है।”
आज वही गांव और तहसीलें अगर उनकी प्रतिमा की सुध तक नहीं ले रहीं,
तो यह हमारे समाज के आत्मचिंतन का विषय है।

छुरिया के नागरिकों का कहना है कि वे स्वयं भी इस प्रतिमा की सफाई और देखभाल के लिए आगे आएंगे,
लेकिन साथ ही प्रशासन से यह अपेक्षा है कि ऐसे सार्वजनिक प्रतीकों की गरिमा बनाए रखी जाए।

🪔 निष्कर्ष : बापू मौन हैं, पर संदेश अब भी गूंज रहा है...

छुरिया के गांधी बाबा की प्रतिमा अब मौन अपील कर रही है —
कि देश की आत्मा सिर्फ भाषणों और नारों से नहीं, बल्कि सम्मान और संवेदना से जीवित रहती है।
जरूरत है कि शासन-प्रशासन इस ओर ध्यान दे और बापू की प्रतिमा को पुनः उसी गरिमा के साथ स्थापित करे,
जैसी उन्होंने हमारे दिलों में जगह बनाई थी।

📍स्थान: तहसीलदार कार्यालय परिसर, छुरिया (जिला राजनांदगांव, छत्तीसगढ़)

✍️ रिपोर्ट: Mohit Vaishnav Senior Reporter, Chhuriya Times 
📸 छवि: छुरिया स्थित गांधी बाबा की प्रतिमा (स्थानीय दृश्य)

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